सफलता चार साधनो से प्राप्त होती है – विवेक , श्रम , आत्मबल और व्यावहारिकता | Mahatma Gandhi
धर्म रहित जीवन सिद्धांत रहित जीवन है , और सिद्धांत रहित जीवन , पतवार रहित नौका के समान है | Mahatma Gandhi
जिनमे नम्रता नहीं आती , वे विधा का पूरा सदुपयोग नहीं कर सकते | Mahatma Gandhi
नम्रता से वह कार्य भी बन जाते है, जो कठोरता से नहीं बन पाते | Mahatma Gandhi
जिसे पुस्तक पढ़ने का शौक है , वह सब जगह सुखी रह सकता है | Mahatma Gandhi
चरित्र मानव जीवन के लिए , एक परम पावन और आवश्यक निधि है , उसका निवास संसार मे नहीं , दिल मे होता है | Mahatma Gandhi
यदि चरित्र के बजाए मनुष्य की महानता, उसके कपड़ो से आँकी जाती तो , महान लोगो की सूची सौ गुणा बढ़ जाती | Mahatma Gandhi
क्षमा दण्ड से अधिक पुरुषोचित है , क्षमा विरस्य भूषणम | Mahatma Gandhi
खुशी इस बात पर निर्भर करती है , की आप क्या दे सकते है , इस पर नहीं की आप क्या पा सकते है | Mahatma Gandhi
जहाँ देह है वहाँ कर्म तो है ही , उससे कोई मुक्त नहीं है | तथापि शरीर को प्रभुमंदिर बनाकर उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करनी चाहिए | Mahatma Gandhi
'आपको मानवता में विश्वास नहीं खोना, चाहिए मानवता सागर के समान है, यदि सागर की कुछ बूँदें गन्दी हैं, तो पूरा सागर गंदा नहीं हो जाता। '
'खुद वो बदलाव, बनिए जो आप दुनिया, में देखना चाहते हैं। '
मैं किसी को भी अपने गंदे पाँव के साथ मेरे मन से नहीं गुजरने दूंगा...I
सात घनघोर पाप: काम के बिना धन; अंतरात्मा के बिना सुख; मानवता के बिना विज्ञान; चरित्र के बिना ज्ञान; सिद्धांत के बिना राजनीति; नैतिकता के बिना व्यापार; त्याग के बिना पूजा.....I
ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो. ऐसे सीखो की तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो.....I
'थोडा सा अभ्यास बहुत सारे उपदेशों से बेहतर है....I'
क्रोध और असहिष्णुता सही समझ के दुश्मन हैं.
मौन सबसे सशक्त भाषण है. धीरे-धीरे दुनिया आपको सुनेगी.
ख़ुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सामंजस्य में हों.
व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित प्राणी है, वह जो सोचता है वही बन जाता है.I